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Saturday, March 12, 2011

अश्रु अंजलि!(जापान को)





जब भी कोशिश करता हूँ,
गर्व करने की,
कि मैं इंसान हूँ!

एक थपेडा,
एक तमाचा कुदरत का,
हल्के से ही सही,
कह के जाता है,
कि "मैं" बलवान हूँ!

हर समय ये याद रखना,
"मैं",
वख्त हूँ कभी,
कुदरत कभी,
इंसानी फ़ितरत कभी,
और कभी आखिर में
"मै" ही भगवान हूँ!

सब तेरे मंसूबे,
तकनीकें
सलाहियत तेरी,
बस टिकी है,
एक घुरी पे, 
घूमती है जिसके सहारे
तेरी दुनिया,
और ज़मीं,

इस ज़मीं के पार 
जब कुछ भी नही,
शून्य और अस्तित्व के परे,
मैं ही आसमान हूँ।




Thursday, December 31, 2009

नया साल! सच में!



ज़िन्दगी का नया सिलसिला कीजिये,
भूल कर रंज़-ओ-गम मुस्कुरा दीजिये.

लोग अच्छे बुरे हर तरीके के हैं,
खोल कर दिल न सबसे मिला कीजिये.

तआरुफ़-ओ-तकरार करने से है,
ये करा कीजिये, वो न करा कीजिये.

शेर कह्ता हूं फ़िर एक नये रंग का
मुझको यादों का नश्तर चुभा दीजिये.

साल आने को है, साल जाने को है,
खास मौका है इसका मज़ा लीजिये.



Monday, July 27, 2009

उफ़्फ़क पे जाके शायद, मिल जाते,
मैं अगर आसमां, और तू ज़मीं होता

इस दुनियां में सब मुसाफ़िर हैं,
कोई मुस्तकिल मकीं नही होता
.


सौ बार आईना देख आया,
फ़िर भी क्यूं खुद पर यकीं नही होता.


दिल के टुकडे बहुत हुये होगें,
यूं ही कोई गमनशीं नहीं होता!