जब भी कोशिश करता हूँ,
गर्व करने की,
कि मैं इंसान हूँ!
एक थपेडा,
एक तमाचा कुदरत का,
हल्के से ही सही,
कह के जाता है,
कि "मैं" बलवान हूँ!
हर समय ये याद रखना,
"मैं",
वख्त हूँ कभी,
कुदरत कभी,
इंसानी फ़ितरत कभी,
और कभी आखिर में
"मै" ही भगवान हूँ!
सब तेरे मंसूबे,
तकनीकें
सलाहियत तेरी,
बस टिकी है,
एक घुरी पे,
घूमती है जिसके सहारे
तेरी दुनिया,
और ज़मीं,
इस ज़मीं के पार
जब कुछ भी नही,
शून्य और अस्तित्व के परे,
मैं ही आसमान हूँ।