अच्छा हुआ के आप भी जल्दी समझ गये,
दीवानगी है शायरी कोई अच्छा शगल नहीं!
मेरी बर्बादी में वो भी थे बराबर के शरीक
हां वही लोग, जो मेरी मय्यत पे फ़ूट के रोये।
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मैं अपनी ज़िन्दगी से डर गया था,
मगर जो जी मे आया कर गया था।
पुकारते थे तमाम लोग नाम जिसका,
वो आदमी दर असल में मर गया था।
मैं वहां सज़दा अगर करता तो कैसे?
था वो मशहूर पर मेरे लिये वो दर नया था।