दिल की हर बात अब यहाँ होगी,
सच और सच बात बस यहाँ होगी
ये सब हैं चाहने वाले!और आप?
Monday, March 23, 2009
इकलॊते के दो जुडवां ! (दो और मुक्तक!)
अन्धेरा इस कदर काला नहीं था,
उफ़क पे झूठं का सूरज कोई उग आया होगा।
मैं ना जाता दर-ए-दुश्मन पे कसीदा पढने,
दोस्त बन के उसने ,मुझे धोखे से बुलाया होगा।
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Please feel free to express your true feelings about the 'Post' you just read. "Anonymous" Pl Excuse Me! बेहिचक अपने विचारों को शब्द दें! आप की आलोचना ही मेरी रचना को निखार देगी!आपका comment न करना एक मायूसी सी देता है,लगता है रचना मै कुछ भी पढने योग्य नहीं है.So please do comment,it just takes few moments but my effort is blessed.
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बेहिचक अपने विचारों को शब्द दें! आप की आलोचना ही मेरी रचना को निखार देगी!आपका comment न करना एक मायूसी सी देता है,लगता है रचना मै कुछ भी पढने योग्य नहीं है.So please do comment,it just takes few moments but my effort is blessed.