"ये वो दौलत है जो बांटे से भी से भी बढ जाती है,
ज़रा हँस दे भीगी पलकों को छुपाने वाले।"
लीजिये अब उस कडी बाकी के शेर भी आप सब की नज़र हैं।
उन्नीदें चश्म तमाम रात, ख्वाबों की बाट जोहेंगे,
ज़रा तू घर तो पहुचं मेरी नींद उडाने वाले।
ये वो दौलत है जो बांटे से भी बढ जाती है,
ज़रा हँस दे भीगी पलकों को छुपाने वाले।
वो बे लिबास लाश, कुछ उसूलों की थी,
जिसे सरे राह घसीटे थे कानून बनाने वाले।
ये फ़कीरी भी लाख नियामत है,संभल वरना,
इसे भी लूट के ले जायेंगे ज़माने वाले।
वो बे लिबास लाश, कुछ उसूलों की थी,
ReplyDeleteजिसे सरे राह घसीटे थे कानून बनाने वाले।
baat mein bahut dam hai. keep it up.
खुद से बेरुखी कैसी अपना फोटो
ReplyDeleteडालिए.
bahut badhiya... jindagi to aise hi bit jaati hai...log dekhte rahate hai....
ReplyDeleteसागर पर लिखा है रस्ता, पगडंडी ना देख ।
ReplyDeleteसागर ले ले हाथ मे, फिर पगडंडी तू देख़ ॥