एक "किरदार" है,
वो बहुत ही असरदार है,
पर इतना बेपरवाह ,
कि जानता तक नहीं,
कि 'साहित्य' लिखा जा रहा है,
'उस पर'
मेरे लिये भी अच्छा है,
क्यों कि जिस दिन,
वो जान गया कि,
मैं लिख देता हूं,
'उस पर'
मेरी रचनाओं में सिर्फ़
शब्द ही रह जायेगें।
क्यों कि सारे भाव तो ,
'वो' अपने साथ लेकर जायेगा ना!
शर्माकर?
या शायद,
घबराकर!!!!
ऊँचा होगा रचनाओं में गर किरदार।
ReplyDeleteशब्दों के शिल्पी कहलाओगे सरदार।
आप का शत शत धन्यवाद समय देने तथा विचारपूर्ण टिप्पणी करने के लिये।
ReplyDeletedil ko chhoo lene vale bhav hain kamaal ke shabd shipi haiN bhavnaon ki abhivyakti ko sunder shabdon se sajaayaa hai bdhai
ReplyDelete