चमन में गुलों का नसीब होता है,
जंगली फ़ूल पे कब तितिलियां आतीं है।
कातिल अदा आपकी निराली है,
हमें कहां ये शोखियां आतीं हैं।
एक अरसे से मोहब्बत खोजता हूं,
अब कहां तोतली बोलियां आतीं है!
गद्दार हमसाये पे न भरोसा करना,
प्यार के बदले में, गोलियां आतीं हैं।
घर मेरा खास था, सो बरर्बाद हुया,
हर घर पे कहां बिजलियां आतीं हैं?
"कविता"(http://kavitasbyshama.blogspot.com/)पर आप सबने कहा:-
ReplyDeleteJandunia said...
शानदार पोस्ट
July 11, 2010 11:01 AM
संगीता स्वरुप ( गीत ) said...
बढ़िया ग़ज़ल..
July 11, 2010 12:14 PM
सुधीर said...
जंगली फ़ूल पे कब तितिलियां आतीं है।
bahut khoob.
पॉल बाबा का रहस्य आप भी जानें
http://sudhirraghav.blogspot.com/
July 11, 2010 12:19 PM
sanu shukla said...
बहुत सुन्दर ...
July 11, 2010 1:22 PM
Udan Tashtari said...
बहुत उम्दा!!
गद्दार हमसाये पे न भरोसा करना,
प्यार के बदले में, गोलियां आतीं हैं।
-बहुत खूब!
July 11, 2010 2:04 PM
वाणी गीत said...
गद्दार हमसाये पे न भरोसा करना,
प्यार के बदले में, गोलियां आतीं हैं।
घर मेरा खास था, सो बरर्बाद हुया,
हर घर पे कहां बिजलियां आतीं हैं?
वाह ...!
July 11, 2010 8:11 PM
शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' said...
गद्दार हमसाये पे न भरोसा करना,
प्यार के बदले में, गोलियां आतीं हैं।
अच्छे शेरों में ये खास तौर पर पसंद आया
July 12, 2010 1:33 AM
shama said...
घर मेरा खास था, सो बरर्बाद हुया,
हर घर पे कहां बिजलियां आतीं हैं?
Wah! Kya khyal hai! Gaddar Hamsaya....! Yah bhi bahut anootha khayal hai!
Sochti rah jati hun,ki,yah sab kaise likh jate hain aap?
July 12, 2010 3:35 AM
एक अरसे से मोहब्बत खोजता हूं,
ReplyDeleteअब कहां तोतली बोलियां आतीं है!
बहुत खूब
शानदार ग़ज़ल...
ReplyDeleteरचना बढ़िया तो लिखी है!
ReplyDeleteहर घर पे कहां बिजलियां आती हैं
ReplyDeleteबहुत खूब।
गद्दार हमसाये पे न भरोसा करना,
ReplyDeleteप्यार के बदले में, गोलियां आतीं हैं।
घर मेरा खास था, सो बरर्बाद हुया,
हर घर पे कहां बिजलियां आतीं हैं?
वाह ! लाजवाब !
हर शेर लाजवाब.
ReplyDeleteबहुत ही शानदार लगा.
मंगलवार 28/01/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteआप भी एक नज़र देखें
धन्यवाद .... आभार ....