ये सब हैं चाहने वाले!और आप?
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Saturday, February 26, 2011
Saturday, February 5, 2011
तितलियों की बेवफ़ाई!
कुछ और ही होता
चमन का नज़ारा
अगर,
गुल ये जान जाते,
तितलियाँ और भ्रमर,
आते नहीं रंग-ओ-बू के लिये,
मकरंद का रस है,
उनके आने की वजह।
हाँ मगर,
यह छोटा सा मिलन भी,
स्वार्थ के कारण ही सही,
देके जाता है ,
चमन को ,
दास्ताँ हर बार एक नई।
और चलती है,
प्रकृति
सर्जन के,
इस बेदर्द वाकये,
के भरोसे!
फ़ूल का खिलना हो,
या भ्रमर का गुंजन,
जारी है निरंतर,
और,
चमन गुलज़ार है,
दर्द से भरी
पर हसीं
दास्तानो से!
Monday, July 12, 2010
तितलियां और चमन!
चमन में गुलों का नसीब होता है,
जंगली फ़ूल पे कब तितिलियां आतीं है।
कातिल अदा आपकी निराली है,
हमें कहां ये शोखियां आतीं हैं।
एक अरसे से मोहब्बत खोजता हूं,
अब कहां तोतली बोलियां आतीं है!
गद्दार हमसाये पे न भरोसा करना,
प्यार के बदले में, गोलियां आतीं हैं।
घर मेरा खास था, सो बरर्बाद हुया,
हर घर पे कहां बिजलियां आतीं हैं?
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