ये सब हैं चाहने वाले!और आप?
Thursday, August 5, 2010
द्स्तूर!
दस्तूर ये कि लोग सिर्फ़ नाम के दीवाने है,
और बुज़ुर्गों ने कहा के नाम में क्या रखा है!
लिफ़ाफ़ा देखकर औकात समझो हुज़ुर,
बात सब एक है पैगाम में क्या रखा है!
सोच मैली,नज़र मैली,फ़ितरतो रूह तक मैली,
अख्लाक़ साफ़ करो जनाब हमाम में क्या रखा है!
8 comments:
Please feel free to express your true feelings about the 'Post' you just read. "Anonymous" Pl Excuse Me!
बेहिचक अपने विचारों को शब्द दें! आप की आलोचना ही मेरी रचना को निखार देगी!आपका comment न करना एक मायूसी सी देता है,लगता है रचना मै कुछ भी पढने योग्य नहीं है.So please do comment,it just takes few moments but my effort is blessed.
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
बहुत बढ़िया रही यह छोटी सी रचना तो!
ReplyDeletechhoti lekin bahut hi behatreen rachna...
ReplyDeleteनाम में क्या रखा है हम भी मान लेते हैं, बात लिफाफे वाली दिल छू लेती है, हकीकत में कभी कभी तो पैगाम पढ़ना जरूरी नही होता
ReplyDeleteलिफाफा खुद बयाँ कर देता है मजमून-ए-खत
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
good poem.
ReplyDeleteयही तो मुसीबत है नाम में क्या रखा है कहते हैं बुजुर्ग
ReplyDeleteनाम न हो तो क्या किया है तुमने कहते हैं बुजुर्ग
मजमून पढ़ा खाक लिफाफा भी खोला करो कहते हैं बुजुर्ग
हमाम में तुम सब नंगे हो कहते हैं बुजुर्ग
अब आप ही बताइए करें क्या हम...ये कहते हैं हम हुजुर
सोच मैली,नज़र मैली,फ़ितरतो रूह तक मैली,
ReplyDeleteअख्लाक़ साफ़ करो जनाब हमाम में क्या रखा है!
बेहतरीन रचना ! सूरत सुधारने को सौ तरीके हैं, सीरत सुधारने को कोई नहीं ...
"कविता" पर आप सब ने कहा!
ReplyDeleteवन्दना said...
लिफ़ाफ़ा देखकर औकात समझो हुज़ुर,
बात सब एक है पैगाम में क्या रखा है!
वाह्………………बेहद उम्दा।
August 7, 2010 7:53 AM
संगीता पुरी said...
बहुत खूब !!
August 7, 2010 8:04 AM
अजय कुमार said...
बहुत खूब ,अच्छी रचना ।
August 7, 2010 8:08 AM
shama said...
सोच मैली,नज़र मैली,फ़ितरतो रूह तक मैली,
अख्लाक़ साफ़ करो जनाब हमाम में क्या रखा है!
Oh! Wah! Kya gazab alfaaz hain is pooree rachna ke! Kmal kar diya is baarbhee!
August 7, 2010 10:09 AM
रवि कुमार, रावतभाटा said...
एक हट कर अंदाज़...
August 7, 2010 10:47 PM
शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' said...
शानदार...
तीनों शेर पसंद आए.
August 8, 2010 9:20 AM
ana said...
mere blog me aane ke liye shukriya
लिफ़ाफ़ा देखकर औकात समझो हुज़ुर,
बात सब एक है पैगाम में क्या रखा है!
lajvaab panktiyaa
August 9, 2010 5:30 AM
mridula pradhan said...
very good.
August 9, 2010 11:12 AM
:)
ReplyDelete