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Friday, August 20, 2010
खुद की मज़ार!
मैं तेरे दर से ऐसे गुज़रा हूं,
मेरी खुद की, मज़ार हो जैसे!
वो मेरे ख्वाब में यूं आता है,
मुझसे ,बेइन्तिहा प्यार हो जैसे!
अपनी हिचकी से ये गुमान हुआ,
दिल तेरा बेकरार हो जैसे!
परिंद आये तो दिल बहल गया,
खिज़ां में भी, बहार हो जैसे!
दुश्मनो ने यूं तेरा नाम लिया,
तू भी उनमें, शुमार हो जैसे!
कातिल है,लहू है खंज़र पे,
मुसकुराता है,कि यार हो जैसे!
12 comments:
Please feel free to express your true feelings about the 'Post' you just read. "Anonymous" Pl Excuse Me!
बेहिचक अपने विचारों को शब्द दें! आप की आलोचना ही मेरी रचना को निखार देगी!आपका comment न करना एक मायूसी सी देता है,लगता है रचना मै कुछ भी पढने योग्य नहीं है.So please do comment,it just takes few moments but my effort is blessed.
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too good!!!to say anything more will lessen the feel of this wonderful expression...
ReplyDeleteमैं तेरे दर से ऐसे गुज़रा हूं,
ReplyDeleteमेरी खुद की, मज़ार हो जैसे!
बहुत बढ़िया !
सार्थक प्रस्तुति- साधुवाद!
ReplyDeleteसद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी
वो मेरे ख्वाब में यूं आता है,
ReplyDeleteमुझसे ,बेइन्तिहा प्यार हो जैसे ..
क्या ग़ज़ब का शेर है ... बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल है ...
Some comment form "KAVITA"
ReplyDeleteवन्दना said...
मैं तेरे दर से ऐसे गुज़रा हूं,
मेरी खुद की, मज़ार हो जैसे!
वो मेरे ख्वाब में यूं आता है,
मुझसे ,बेइन्तिहा प्यार हो जैसे!
अपनी हिचकी से ये गुमान हुआ,
दिल तेरा बेकरार हो जैसे!
परिंद आये तो दिल बहल गया,
खिज़ां में भी, बहार हो जैसे!
ओह्……………क्या जज़्बात उभर कर आये हैं………आह!हर शेर दिल मे उतर गया।
August 20, 2010 2:41 AM
shama said...
Oh!Wah! Bas itnahi kah sakti hun!
August 20, 2010 2:51 AM
संगीता स्वरुप ( गीत ) said...
बहुत खूबसूरत गज़ल...
August 20, 2010 2:58 AM
वाणी गीत said...
हर एक शेर अपने आप में ख़ास है ..!
August 20, 2010 7:19 PM
शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' said...
अश’आर के भाव बहुत अच्छे लगे.
August 21, 2010 10:28 AM
"अपनी हिचकी से ये गुमान हुआ,
ReplyDeleteदिल तेरा बेकरार हो जैसे"
इतने अच्छे मिस्रे बुनते हैं आप...थोड़ी-सी, बस थोड़ी-सी मेहनत जो छंद पे हो तो कयामत मचा देंगे आप- यक़ीनन।
"अपनी हिचकी से ये गुमान हुआ,
ReplyDeleteदिल तेरा बेकरार हो जैसे"
इतने अच्छे मिस्रे बुनते हैं आप...थोड़ी-सी, बस थोड़ी-सी मेहनत जो छंद पे हो तो कयामत मचा देंगे आप- यक़ीनन।
हुज़ूर! मेरी समझ के परे है,आप जो बता रहे है, दिल में जो आया लिख दिया,अब मुझे न तो इल्म है न शायद कोशिश ही कभी करता हूं!
ReplyDelete:-)
ReplyDeletebahut hi khubsurat rachna....
ReplyDeleteumdaah prastuti ke liye badhai....
लाजवाब मिसरे हैं.... बहुत खूब कहते हैं आप.
ReplyDeletedil ko chu gayi apki kavita.... :)
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