क्या कह दूँ के तुम्हें करार आ जाये,
मेरी बातों पे तुम्हें ऎतबार आ जाये॥
दिल इस दुनिया से क्यूँ नहीं भरता,
उनकी बेरूखी पे भी प्यार आ जाये।
दर्द इतने मैं कहाँ छुपाऊँ भला,
मौत से कहो एक बार आ जाये।
वीरानियाँ भी तो तेरा हिस्सा हैं,
या खुदा इधर भी बहार आ जाये।
दर्द इतने मैं कहाँ छुपाऊँ भला,
ReplyDeleteमौत से कहो एक बार आ जाये।
waah
वीरानियाँ भी तो तेरा हिस्सा हैं,
ReplyDeleteया खुदा इधर भी बहार आ जाये।
वाह...बेहतरीन...बहुत खूब कहा है आपने...बधाई स्वीकारें...
नीरज
हर पंक्ति लाजवाब ....।
ReplyDeleteदर्द इतने मैं कहाँ छुपाऊँ भला,
ReplyDeleteमौत से कहो एक बार आ जाये।
वाह खूब कहा आपने.... बेहतरीन
दर्द इतने मैं कहाँ छुपाऊँ भला,
ReplyDeleteमौत से कहो एक बार आ जाये।
ये शेर कुछ ज्यादा ही कशिश भरा लगा मुझे ..लाजवाब
बंधाई स्वीकारें
आपके ब्लॉग पर पहली बार आया, आप शानदार लिखते हैं।
ReplyDeleteआपका लिखा हमेशा ही मन को भाता है, लेकिन इस फ़रवरी महीने की तो सभी पोस्ट्स एक से बढ़कर एक हैं।
ReplyDeleteये वाली रचना बहुत शानदार लगी।
आभार स्वीकारें।
"कविता" Blog पर आप सब ने फ़रमाया:-
ReplyDeleteM KASHYAP said...
क्या कह दूँ के तुम्हें करार आ जाये,
मेरी बातों पे तुम्हें ऎतबार आ जाये॥
इस बेहतरीन रचना के लिए बधाई ।
February 28, 2011 7:56 AM
संगीता स्वरुप ( गीत ) said...
बहुत खूब ..सुन्दर गज़ल
February 28, 2011 10:19 AM
ana said...
bahut sundar likha hai aapen.....man ko chhoo gayee
March 1, 2011 4:24 AM
ABHIVYAKTI said...
dard itne main kahan chupaaon bhala
maut se kaho ik baar aa jaye
beautiful selection of words!!
March 1, 2011 5:45 AM