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Sunday, February 2, 2014

ज़िन्दगी!

दर्द की चट्टान से रिसती,
पानी की धार
ज़िन्दगी,

जून की दोपहर में,
चढता बुखार
ज़िन्दगी,

जागी आँखों में,
नींद का खुमार
ज़िन्दगी,

खुशी और ग़म की,
लटकती  तलवार,
ज़िन्दगी,

भरी आँखों के,
सावन में मल्हार,
ज़िन्दगी,

एक नये साज़ के,
टूटे से तार,
ज़िन्दगी,

सूखी फ़सल के बाद,
लाला का उधार,
ज़िन्दगी,

भूखे पेट,चोटिल जिस्म को,
माँ का दुलार ,
ज़िन्दगी,

बनावट के दौर में,
होना आँखों का चार,
ज़िन्दगी,

एक ख़फ़ा दोस्त की,
अचानक पुकार,
ज़िन्दगी,

Saturday, October 8, 2011

झुनझुने!



कोई ऐसा शहर बनाओ यारों,
हर तरफ़ आईने लगाओ यारों!


नींद में खो गये हैं ज़मीर सभी,
शोर करो इन को जगाओ यारो!



नयी नस्लें इन्ही रास्तों से गुजरेंगी,
राहे मन्ज़िल से ये काई हटाओ यारो!


बच्चे भूखे हैं, दूध मांगते है,
ख्वाब के झुनझुने मत बजाओ यारों!



Saturday, February 26, 2011

मौसम-ए-गुल!





मौसमें गुल है और हर तरफ़ खुमारी है,
सरे आम क्या कहूँ,बात मेरी तुम्हारी है।

गुलो ने पैगाम दिया है बसंत आने का,
तितलियों ने फ़िज़ा की आरती उतारी है।

न बताओ मुझे कि मंज़िलें हैं  दूर अभी ,
मैं निकल पडा हूँ,और मेरा सफ़र जारी है।

गमे दुनियाँ भी हैं शामिल जाम मे मेरे,
अभी फ़िलहाल तो मौसम का नशा तारी है।


Thursday, February 24, 2011

दुआ बहार की!




क्या कह दूँ के तुम्हें करार आ जाये,
मेरी बातों पे तुम्हें ऎतबार आ जाये॥

दिल इस दुनिया से क्यूँ नहीं भरता,
उनकी बेरूखी पे भी प्यार आ जाये।

दर्द इतने मैं कहाँ छुपाऊँ भला,
मौत से कहो एक बार आ जाये।

वीरानियाँ भी तो तेरा हिस्सा हैं,
या खुदा इधर भी बहार आ जाये।

Monday, July 5, 2010

गुलों से बात!


अज़ीब शक्स है वो गुलो से बात करता है,
अपनी ज़ुरूफ़ से भरे दिन को रात करता है.

वो जो कहता है भोली प्यार की बातें,
खामोश हो के खुदा भी समात करता है,

मां बन के कभी उसके प्यार का जादू
एक जर्रे: को भी  काइनात करता है,

मेरे प्यार को वो भला कैसे जानेगा?
जब देखो मूंह बनाके बात करता है!