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Thursday, February 24, 2011

दुआ बहार की!




क्या कह दूँ के तुम्हें करार आ जाये,
मेरी बातों पे तुम्हें ऎतबार आ जाये॥

दिल इस दुनिया से क्यूँ नहीं भरता,
उनकी बेरूखी पे भी प्यार आ जाये।

दर्द इतने मैं कहाँ छुपाऊँ भला,
मौत से कहो एक बार आ जाये।

वीरानियाँ भी तो तेरा हिस्सा हैं,
या खुदा इधर भी बहार आ जाये।

8 comments:

  1. दर्द इतने मैं कहाँ छुपाऊँ भला,
    मौत से कहो एक बार आ जाये।
    waah

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  2. वीरानियाँ भी तो तेरा हिस्सा हैं,
    या खुदा इधर भी बहार आ जाये।

    वाह...बेहतरीन...बहुत खूब कहा है आपने...बधाई स्वीकारें...

    नीरज

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  3. हर पंक्ति लाजवाब ....।

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  4. दर्द इतने मैं कहाँ छुपाऊँ भला,
    मौत से कहो एक बार आ जाये।

    वाह खूब कहा आपने.... बेहतरीन

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  5. दर्द इतने मैं कहाँ छुपाऊँ भला,
    मौत से कहो एक बार आ जाये।

    ये शेर कुछ ज्यादा ही कशिश भरा लगा मुझे ..लाजवाब
    बंधाई स्वीकारें

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  6. आपके ब्लॉग पर पहली बार आया, आप शानदार लिखते हैं।

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  7. आपका लिखा हमेशा ही मन को भाता है, लेकिन इस फ़रवरी महीने की तो सभी पोस्ट्स एक से बढ़कर एक हैं।
    ये वाली रचना बहुत शानदार लगी।
    आभार स्वीकारें।

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  8. "कविता" Blog पर आप सब ने फ़रमाया:-


    M KASHYAP said...
    क्या कह दूँ के तुम्हें करार आ जाये,
    मेरी बातों पे तुम्हें ऎतबार आ जाये॥
    इस बेहतरीन रचना के लिए बधाई ।

    February 28, 2011 7:56 AM


    संगीता स्वरुप ( गीत ) said...
    बहुत खूब ..सुन्दर गज़ल

    February 28, 2011 10:19 AM


    ana said...
    bahut sundar likha hai aapen.....man ko chhoo gayee

    March 1, 2011 4:24 AM


    ABHIVYAKTI said...
    dard itne main kahan chupaaon bhala
    maut se kaho ik baar aa jaye
    beautiful selection of words!!

    March 1, 2011 5:45 AM

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