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Saturday, February 26, 2011
Friday, July 9, 2010
सच बरसात का!
फ़लक पे झूम रही सांवली घटायें हैं,
बदलियां हैं या, ज़ुल्फ़ की अदायें हैं।
बुला रहा है उस पार कोई नदिया के,
एक कशिश है या, यार की सदायें हैं।
बूटे बूटे में नज़र आता है तेरा मंज़र,
मेरी दीवानगी है, या तेरी वफ़ायें हैं।
याद तेरी मुझे दीवानवर बनाये है,
ये ही इश्क है,या इश्क की अदायें हैं।
दिल तो मासूम है, कि तेरी याद में दीवाना है,
असल में तो न घटा है, न बदली, न हवायें हैं!
बदलियां हैं या, ज़ुल्फ़ की अदायें हैं।
बुला रहा है उस पार कोई नदिया के,
एक कशिश है या, यार की सदायें हैं।
बूटे बूटे में नज़र आता है तेरा मंज़र,
मेरी दीवानगी है, या तेरी वफ़ायें हैं।
याद तेरी मुझे दीवानवर बनाये है,
ये ही इश्क है,या इश्क की अदायें हैं।
दिल तो मासूम है, कि तेरी याद में दीवाना है,
असल में तो न घटा है, न बदली, न हवायें हैं!
Monday, August 3, 2009
मौसम
लीजिये मौसम सुहाने आ गये,
हुस्न वालो के ज़माने आ गये
बादलों का पानी कहीं न कम पडे,
हम अपने आंसू मिलाने आ गये.
मौत भी मेरी,फ़साना बन गयी,
दुश्मन-ऐ-जां , आंसू बहाने आ गये.
चूक कैसे जाते सारे दोस्त मेरे,
वो भी दिल मेरा दुखाने आ गये.
गुलों को देख कर उकता गये थे,
खार दामन को सज़ाने आ गये.
यार के दामन से जी जब भर गया,
गैर क्यूं अपना बनाने आ गये?
दाद दी गज़लों पे मेरी उसने जब,
यूं लगा गुज़रे ज़माने आ गये.
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