कहीं कुछ छूट गया हो जैसे.
बहुत बेरंग हैं आज शाम के रंग,
इंद्रधनुष टूट गया हो जैसे.
वो मेरे अरमान तमाम बिखरे हुए,
शीशा हाथ से छूट गया हो जैसे.
बात बहुत सीधी थी और कह भी दी
तू मगर भूल गया हो जैसे.
कहते कहते यूँ तेरा रुक जाना,
साजिंदा रूठा गया हो जैसे.
बहुत बेरंग हैं आज शाम के रंग,
ReplyDeleteइंद्रधनुष टूटा हो जैसे.
kush bhai kya khoob