Please feel free to express your true feelings about the 'Post' you just read. "Anonymous" Pl Excuse Me! बेहिचक अपने विचारों को शब्द दें! आप की आलोचना ही मेरी रचना को निखार देगी!आपका comment न करना एक मायूसी सी देता है,लगता है रचना मै कुछ भी पढने योग्य नहीं है.So please do comment,it just takes few moments but my effort is blessed.
खूबसूरत सोच है
ReplyDeleteकोई नई गजल पढ़वाइये
वीनस केसरी
wah kya baat kahi hai....darpan ki tarah aar-paar
ReplyDeletemaja aa gaya ...kam shabdo mai aapne jis baat ko kaha hai yakinan kabil-e-daad
kubool karen
shobhagy hai mera aap jaise funkaar ne bhavo ko saraha
वो देखो दौड़ के मंज़िल पे जा पहुँचा,
ReplyDeleteकौन कहता है के,'झूंठ के पावं' नही होते...so baar bolne se har jhuth sach ho jata hai.....
राज जी,
ReplyDeleteमेरा मानना ज़रा मुक्तलिफ़ है, आपके point of view से,वो ये के:
"सच घटे या बढे तो सच न रहे,
और झूंठ की तो कोई इन्तेहा ही नही.
चाहे सोने के फ़्रेम में जड दो,
आईना झूंठ बोलता ही नहीं."
कलाम मेरा नहीं है.