औरत और दरख्त में क्या फ़र्क है?
मुझे नज़र नहीं आता,
क्या मेरी बात पे
आपको यकीं नहीं आता!
तो गौर फ़रमाएं,
मैं गर गलत हूँ!
तो ज़ुरूर बतायें
दोनों दिन में खाना बनाते हैं
एक ’क्लोरोफ़िल’ से,
और दूसरी
गर कुछ पकाने को न हो,
तो सिर्फ़ ’दिल’ से!
एक रात को CO2 से साँस बनाये है,
दूसरी हर साँस से आस लगाये है,
पेड की ही तरह ,
औरत मिल जायेगी,
हर जगह,
खेत में, खलिहान में,
घर में, दलान में,
बस्ती में,श्मशान में,
हाट में, दुकान में,
और तो और वहाँ भी,
जहाँ कॊई पेड नहीं होता,
’ज़िन्दा गोश्त’ की दुकान में!
अब क्या ज़ुरूरी नहीं दोनों को बचाना?
मुझे नज़र नहीं आता,
क्या मेरी बात पे
आपको यकीं नहीं आता!
तो गौर फ़रमाएं,
मैं गर गलत हूँ!
तो ज़ुरूर बतायें
दोनों दिन में खाना बनाते हैं
एक ’क्लोरोफ़िल’ से,
और दूसरी
गर कुछ पकाने को न हो,
तो सिर्फ़ ’दिल’ से!
एक रात को CO2 से साँस बनाये है,
दूसरी हर साँस से आस लगाये है,
पेड की ही तरह ,
औरत मिल जायेगी,
हर जगह,
खेत में, खलिहान में,
घर में, दलान में,
बस्ती में,श्मशान में,
हाट में, दुकान में,
और तो और वहाँ भी,
जहाँ कॊई पेड नहीं होता,
’ज़िन्दा गोश्त’ की दुकान में!
अब क्या ज़ुरूरी नहीं दोनों को बचाना?