एक शमा की सब वफाएं,जब हवा से हो गयी.
बे चरांगा रास्तों का लुत्फ़ ही जाता रहा.
तुम अंधेरे की तरफ कुछ इस क़दर बढ़ते गये,
रौशनी मैं देखने का हुनर भी जाता रहा.
रौशनी मैं देखने का हुनर भी जाता रहा.
(दिल करता है कि इस शेर को कुछ ऐसे लिखूं:)
तुम सितारों की चमक में,कुछ इस क़दर मसरूफ़ थे,
के रोशनी में देखने का हुनर ही जाता रहा.
जितने मेरे हमसफ़र थे अपनी मंज़िल को गये,
मैं था, सूनी राह थी, और एक सन्नाटा रहा .
मैं था, सूनी राह थी, और एक सन्नाटा रहा .
हाल-ए-मरीज़े इश्क़ का मैं क्या करूँ तुमसे बयाँ,
हर दवा का,हर दुआ का असर ही जाता रहा.
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लुत्फ़:Fun
हुनर:The art/ Capability of..
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बहुत सुन्दर।
ReplyDeleteबधाई हो।
तुम अंधेरे की तरफ कुछ इस क़दर बढ़ते गये,
ReplyDeleteरौशनी मैं देखने का हुनर भी जाता रहा.
बहुत खूबसूरत ख्याल है...
हमेशा की तरह..
मेरा भी एक शेर आपकी नज़र....
चाँदनी ने भटका दिया शहर-शहर दर-ब-दर
रास्ते अंधेरों में मुझे साफ़ दिखते हैं
बहुत ही अच्छे शेर बने हैं...
ReplyDeleteखास कर एक शमा वाला...
wah/
ReplyDeleteachhi gazal/
pasand aai hame/
Is rachnake liye bhee bas ek 'waah'!
ReplyDeleteShabdon kee mohtaaji hai...kya karen...?
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