ये सब हैं चाहने वाले!और आप?
Wednesday, December 2, 2009
तीरगी का सच!
Wednesday, November 25, 2009
आम ऒ खास का सच!
Sunday, November 15, 2009
बेवफ़ाई का सच!
कल मुझे इक खबर ने दुखी कर दिया!
मेरे दोस्त का तलाक हो गया!
आम बात(खबर) है ये आज कल,
पर मेरे दुखी होने की वजह थी,
दोनों ’तलाक शुदा’ व्यक्ति मेरे दोस्त रहे थे!
एक (उनकी) शादी से पहले और एक शादी के बाद!
हांलाकि मैं तलाक की वजह नहीं था!
पर अफ़सोस कि बात ये के
काश उन दोनों मे से ,
कोई एक तो ऐसा होता,
जो मोहब्बत की कद्र कभी तो समझता!
Thursday, November 12, 2009
तन्हाई का सच!
कल रात सवा ग्यारह बजे,
मैं अचानक तन्हा हो गया!
एक दम तन्हा!
ऐसा नहीं के इस से पहले,
मुझे कभी मेरी तन्हाई का अहसास नहीं था!
पर कल रात मैने एक गलती की!
अपने Mobile की phone book को browse करने लगा!
दिल में आया कि देखूं कौन कौन वो लोग हैं,
जिन्हें गर अभी call करूं तो,
बिन अलसाये,बिन गरियाये (दिल में)
मेरी call लेगें (और खुश होगें!)
सच कह्ता हूं!
मैने इस से ज्यादा तन्हाई कभी मह्सूस नहीं की!
क्यों के एक भी Contact ऐसा नहीं था जिसे,
मैं बेधडक call कर सकूं,
एक Thursday evening को!
(कल एक working day है!)
सिर्फ़ ये कहने के लिये!
बहुत दिन हुये ’तुम से बात नहीं हुई’
और वो खुश हो के कहे,
"अच्छा लगा के तुमने याद किया!"
(झूंठ ही सही!!!!)
"सच में" कितना तन्हा हूं मैं!
और आप?
Thursday, November 5, 2009
दर्द का सच!
छुपा लाख तू जो गुजरी है हम दोनो में,
तेरा चेहरा तेरे हर सच का पता देता है.
पाक पलकों को तेरी,मैंने तो छूआ भी नहीं,
कैसा दिलबर है,तू जगने की सज़ा देता है.
मेरी कोशिश है,मैं आज के साथ जी पाऊं,
मेरा माज़ी है के, मेरा दर्द जगा देता है.
ये मोहब्ब्त है, इसे खेल न समझो यारों
दर्द इश्क का बढने पे मज़ा देता है.
दर्द देता है मज़ा,कभी अश्क मज़ा देता है,
ये तो इन्सान है,जो अच्छों को भुला देता है.
Wednesday, October 28, 2009
सच गुनाह का!
मेरी कमीज़ के कन्धे पर लगा रह गया था,
अब मुझे कलंक सा लगने लगा है.
क्या मैं ने अकेले ही
जिया था उन लम्हों को?
तो फ़िर इस रुसवाई में,
तू क्यों नही है साथ मेरे!
क्या दर्द के लम्हों से मसरर्त
की चन्द घडियां चुरा लेना गुनाह है,
गर है! तो सज़ा जो भी हो मंज़ूर,
गर नही!तो,
’गुनाह-ए-बेलज़्ज़त, ज़ुर्म बे मज़ा’
कैसा मुकदमा,और क्यूं कर सज़ा?’
Friday, October 23, 2009
सच बे उन्वान!
पलकें नम थी मेरी,
घास पे शबनम की तरह,
तब्बसुम लब पे सजा था,
किसी मरियम की तरह.
वो मुझे छोड गया ,
संगे राह समझ.
मै उसके साथ चला था,
हरदम, हमकदम की तरह.
वफ़ा मेरी कभी
रास न आई उसको,
वो ज़ुल्म करता रहा,
मुझ पे बेरहम की तरह.
फ़रिस्ता मुझको समझ के ,
वो आज़माता रहा,
मैं तो कमज़ोर सा इंसान
था आदम की तरह.
ख्वाब जो देके गया ,
वो बहुत हंसी है मगर,
तमाम उम्र कटी मेरी
शबे गम की तरह.
Thursday, October 15, 2009
"झूंठ" सच में!
गर्द को साफ़ किया मैने,
उंगली को ज़ुबान से नम कर के,
पर ’वो’ नहीं बोली!
मेरी आंखे नम थीं,
पर ’वो’ नहीं बोली,
शायद वो बोलती,
गर वो तस्वीर न होती,
या शायद
गर वो मेरी तरह
गम ज़दा होती
इश्क में!
वो नहीं थी!
न तस्वीर,
न तस्सवुर,
एक अहसास था,
जिसे मैने ज़िन्दगी से भी ज़्यादा जीने की कोशिश की थी!
टूट गया!
क्यो कि
ख्वाब गर जो न टूटे,
तो कहां जायेंगे?
जिन के दिल टूटे हैं
वो खुद को भला क्या समझायेंगे!
शायद ये के:
"टूट जायेंगे तो किरचों के सिवा क्या देगें!
ख्वाब शीशे के हैं ज़ख्मों के सिवा क्या देंगें,"
Wednesday, October 14, 2009
बस कह दिया!
जान की बाज़ी लगाये बैठे हैं.
तुम को मालूम ही नहीं शायद,
दुश्मन नज़रे गडाये बैठे हैं.
सलवटें बिस्तरों पे रहे कायम,
नींदे तो हम गवांये बैठें हैं
फ़ूल लाये हो तो गैर को दे दो,
हम तो दामन जलाये बैठे हैं.
मयकदे जाते तो गुनाह भी था,
बिन पिये सुधबुध गवांये बैठे हैं.
सच न कह्ता तो शायद बेह्तर था,
सुन के सच मूंह फ़ुलाये बैठे हैं.
Saturday, October 10, 2009
मानव योनि!
Monday, September 21, 2009
दरख्त का सच!
Friday, August 28, 2009
सच है ना?
क्यों भला हम रिन्द को तोहमत लगाये,
साकी भी तो जाम छ्लकाने लगा है.
SENSEX तो अब ऊपर जाने लगा है.
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"सच में" के सुधी पाठकों और अपने चाहने वालों से कुछ समय के लिये ,इस माध्यम (Blog 'sachmein') पर मुखातिब नहीं हो पाऊंगा.आशा है आप सब की दुआएं जल्द ही मुझे वापस आने के लिये हालात बना देंगी.तब तक के लिये,take care & Happy Bloging!
_Ktheleo
Tuesday, August 25, 2009
फ़िर से पढे 'ताल्लुकात का सच'!
Wednesday, August 19, 2009
वफ़ा की दुआ!
टूट जायेंगें तो, ज़ख्मों के सिवा क्या देगें
Tuesday, August 11, 2009
इश्क का सच!
Monday, August 3, 2009
मौसम
Monday, July 27, 2009
गर्द-ए-सफ़र-ए- इश्क!
Friday, July 24, 2009
अनामिका
Wednesday, July 22, 2009
रास्तों का सच!
रौशनी मैं देखने का हुनर भी जाता रहा.
मैं था, सूनी राह थी, और एक सन्नाटा रहा .
Saturday, July 18, 2009
किरदार का सच!( फ़िर से)
Saturday, July 11, 2009
जाने क्या?
फ़ौर your eyes Only!
Friday, July 10, 2009
मेरा सच
Thursday, July 9, 2009
बचपन की बातें!
Tuesday, July 7, 2009
अरमान
कहीं कुछ टूट गया हो जैसे.
बहुत बेरंग हैं आज शाम के रंग,
इंद्रधनुष टूट गया हो जैसे.
वो मेरे अरमान तमाम बिखरे हुए,
बात बहुत सीधी थी और कह भी दी
कहते कहते यूँ तेरा रुक जाना,
Monday, July 6, 2009
नज़दीकियों का सच!
Saturday, July 4, 2009
चमन का सच
Monday, June 29, 2009
क्या ये सच है!
नया कुछ भी नहीं,ज़िन्दगी हस्बेमामूल चलती है.
लौ ख्यालों की है रौशन ,मोम उम्र की पिघलती है.
मै नहीं चाहता दुनियां से कुछ भी कहना,
जेहन में ,क्यों नदी अरमानों की मचलती है.
मैने चाहा ही नही ,तुझको कभी याद करूं,
बर्फ़ यादों की ये, क्यों नही पिघलती है.
सर्द यादों को तो तेरी,मै कब का दफ़न कर आया,
तपिश गमों की लहू बन के, मेरी रगो में फ़िसलती है.
मै तो गुज़र जाऊगां बरसात के मौसम की तरह,
काई मोहब्त की तो, दिल पे बाद में उभरती हैं.
Saturday, June 27, 2009
शायद सच हो!
John F. Kennedy was elected to Congress in 1946.
Abraham Lincoln was elected President in 1860.
John F. Kennedy was elected President in 19 60.
Both were particularly concerned with civil rights.
Both wives lost their children while living in the White House.
Both Presidents were shot on a Friday.
Both Presidents were shot in the head.
Now it gets really weird.
Lincoln 's secretary was named Kennedy.
Kennedy's Secretary was named Lincoln .
Both were assassinated by Southerners.
Both were succeeded by Southerners named Johnson.
Andrew Johnson, who succeeded Lincoln , was born in 1808.
Lyndon Johnson, who succeeded Kennedy, was born in 1908.
John Wilkes Booth, who assassinated Lincoln , was born in 1839.
Lee Harvey Oswald, who assassinated Kennedy, was born in 1939.
Both assassins were known by their three names.
Both names are composed of fifteen letters.
Now hang on to your seat.
Lincoln was shot at the theater named 'Ford.'
Kennedy was shot in a car called ' Lincoln ' made by 'Ford.'
Lincoln was shot in a theater and his assassin ran and hid in a warehouse.
Kennedy was shot from a warehouse and his assassin ran and hid in a theater.
Booth and Oswald were assassinated before their trials.
And here's the kicker...
A week before Lincoln was shot, he was in Monroe, Maryland.
Thursday, June 25, 2009
जादू का सच!
Tuesday, June 23, 2009
अरमान
कहीं कुछ टूटा गया हो जैसे.
बहुत बेरंग हैं आज शाम के रंग,
इंद्रधनुष टूटा गया हो जैसे.
वो मेरे अरमान तमाम बिखरे हुए,
बात बहुत सीधी थी और कह भी दी
कहते कहते यूँ तेरा रुक जाना,