व्हाइट वाला’ब्लैक बोर्ड’लगाना ही होगा,
शब्द अपने मतलब,खोते जा रहे हैं!
शब्द अपने मतलब,खोते जा रहे हैं!
बातों का जंगल घना हो चला है,
लोग फ़िर भी लफ़्ज़, बोते जा रहे हैं!
सुबुह का सूरज भी बूढा हो चला है,
लोग जगते ही नहीं, सोते जा रहे हैं!
अब चलों मझधार में ही घर बना लो,
सब किनारे, कश्तियाँ, डुबोते जा रहे है!
मुस्कुराहटें भी कुछ कुछ ग़मज़दा हैं,
अश्क भी रोते बिलखते आ रहें है!