खुद से छिप कर ऐसा करना एक दिन,
मुझसे छिप कर मुझसे मिलना एक दिन!
सच की उस चिलमन से निकलना एक दिन,
संग मेरे गलियों में भटकना एक दिन!
मैं चला जाऊं भी अगर इस बज़्म से,
तुम मुझे फिर से बुलाना एक दिन।
याद मेरी आये तुमको के नहीं,
तुम मेरे ख्वाबों मे आना एक दिन।
शिकवे कुछ सच्चे से और कुछ झूठ भी,
खूब करना और रुलाना एक दिन।
डूबता सूरज हो और मद्धम रोशनी,
नदिया किनारे मिलने आना एक दिन।
_कुश शर्मा