कभी करना न भरोसा,
दिल की लन्तरानी पे
ये वो सराब हैं,
जो सरे सहरा ,
तेरी तिश्नगी को
धूप के हवाले करके,
तुझे आँसुओं की शबनम के सहारे छोड जायेगा,
औ दर्द तेरा
सबब बन जायेगा,
कहकहों का,
ज़माना सिर्फ़ तेरी नाकामयाब मोहब्बतों को
कहानियों में सुनायेगा !
ऐ दिल-ए- नादाँ,
सम्भल,
इश्क कभी वफ़ा वालों को, मिला है अब तक?
तेरा अफ़साना भी
माज़ी के वर्कॊं में दबाया जायेगा.