मुझे बस इतना बताते जाते,
क्यूँ मुस्कुराते थे,तुम आते जाते!
शब-ए-इंतेजार मुख्तसर न हूई,
दम मगर जाता रहा तेरे आते आते।
तिश्नगी लब पे मकीं हो गई,
तेरी जुल्फों की घटा छाते छाते।
दर-ए-दुश्मन था,और मयखाना
गम के मारे बता किधर जाते?
तेरा घर मेरी गली के मोड पे था, रास्ते भला कैसे जुदा हो पाते?
तेरा घर मेरी गली के मोड पे था, रास्ते भला कैसे जुदा हो पाते?